शिक्षकोंपर
गैर शैक्षणिक कार्यों का बोझ एक ऐसी समस्या जिससे राजकीय स्कूलों के
शिक्षक बेहद परेशान हैं। जब भी परीक्षा परिणाम खराब होता है तो शिक्षक वर्ग
का तर्क हमेशा यही होता है कि गैर शैक्षणिक कार्यों में ड्यूटी लगी होने
के कारण वे विद्यार्थियों को पूरा समय नहीं दे सके, लेकिन शिक्षक वर्ग की
अब यह समस्या दूर होने जा रही है। विभाग ने तय किया है कि अब शिक्षकों पर
गैर शैक्षणिक कार्यों का बोझ डाला जाए।
स्कूल संबंधी रिकॉर्ड अन्य डाक का कार्य मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम से किया जाएगा। इससे शिक्षकों को डाक अन्य कागजात देने के लिए बीईओ या डीईओ कार्यालय आने की जरूरत नहीं होगी। ये फैसला लेने के बाद विभाग के अधिकारियों ने जिला स्तर खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। टीसी गुप्ता की अध्यक्षता में बैठक में शिक्षकों से नॉन टीचिंग कार्य कम करने बाबत फैसला लिया गया था।
^शिक्षा विभाग की ओर से इस बाबत आदेश जारी हुए हैं, जोकि स्वागत योग्य हैं। लेकिन इस प्रकार के आदेश पहले भी आए पर लागू नहीं हुए। खुशी तब अधिक होगी जब आदेशों की सख्ती से पालना की जाएगी।’’दिनेश छिक्कारा,प्रवक्ता हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ।
स्कूलों में क्लर्क के पद रिक्त होने के कारण शिक्षकों को ही कार्य करना पड़ता है। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होती है। जिसका असर परीक्षा पर भी पड़ता है। इससे स्कूलों का परिणाम बेहतर नहीं हो पाता। इसी को लेकर शिक्षा विभाग ने शिक्षकों का वर्क लोड कम करने का फैसला लिया है। इसके लिए स्कूल संबंधी रिकॉर्ड अन्य डाक का कार्य मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम से किया जाएगा।
इस शिक्षा सत्र में दसवीं का सबसे खराब परीक्षा परिणाम राजकीय स्कूलों का ही था। राजकीय स्कूलों में 30.32 प्रतिशत रहा। जबकि निजी स्कूलों में 53.61 प्रतिशत रहा। वहीं बारहवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम 53.95 प्रतिशत रहा।
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स्कूल संबंधी रिकॉर्ड अन्य डाक का कार्य मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम से किया जाएगा। इससे शिक्षकों को डाक अन्य कागजात देने के लिए बीईओ या डीईओ कार्यालय आने की जरूरत नहीं होगी। ये फैसला लेने के बाद विभाग के अधिकारियों ने जिला स्तर खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। टीसी गुप्ता की अध्यक्षता में बैठक में शिक्षकों से नॉन टीचिंग कार्य कम करने बाबत फैसला लिया गया था।
^शिक्षा विभाग की ओर से इस बाबत आदेश जारी हुए हैं, जोकि स्वागत योग्य हैं। लेकिन इस प्रकार के आदेश पहले भी आए पर लागू नहीं हुए। खुशी तब अधिक होगी जब आदेशों की सख्ती से पालना की जाएगी।’’दिनेश छिक्कारा,प्रवक्ता हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ।
स्कूलों में क्लर्क के पद रिक्त होने के कारण शिक्षकों को ही कार्य करना पड़ता है। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होती है। जिसका असर परीक्षा पर भी पड़ता है। इससे स्कूलों का परिणाम बेहतर नहीं हो पाता। इसी को लेकर शिक्षा विभाग ने शिक्षकों का वर्क लोड कम करने का फैसला लिया है। इसके लिए स्कूल संबंधी रिकॉर्ड अन्य डाक का कार्य मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम से किया जाएगा।
इस शिक्षा सत्र में दसवीं का सबसे खराब परीक्षा परिणाम राजकीय स्कूलों का ही था। राजकीय स्कूलों में 30.32 प्रतिशत रहा। जबकि निजी स्कूलों में 53.61 प्रतिशत रहा। वहीं बारहवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम 53.95 प्रतिशत रहा।
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